Biru made the audience emotional, appeals were raised to make the film tax free

The first review show of the film "Baiju" based on the life story of orphan children was held in the JP auditorium of Khandari campus. Many prominent actors will also be seen in this film along with beautiful scenes of Agra.

Jan 6, 2025 - 14:46
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Biru made the audience emotional, appeals were raised to make the film tax free
Biru made the audience emotional, appeals were raised to make the film tax free

मनोरंजन के साथ जीवन के कठिन संघर्षों को दिखाने वाली फिल्म "बीरू" में जब 6 साल का बीरू अपनी खोई हुई माता-पिता से फिर से मिलता है, तो सभागार में बैठे दर्शक अपनी आंखों में आंसू और दिल में हर्ष के साथ तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठते हैं।

करीब डेढ़ घंटे की यह फिल्म दर्शकों को भावनात्मक रूप से अपनी कहानी से पूरी तरह जोड़ने में सफल रही। इसके अलावा, फिल्म में आगरा के खूबसूरत दृश्य और कई मशहूर कलाकारों की भी अहम भूमिका दिखाई दी।

फिल्म की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि अगर पुलिस प्रशासन के अधिकारी इस फिल्म को देखेंगे, तो न केवल अपनी आंखों में आंसू आएंगे, बल्कि वे अपनी कार्यप्रणाली में सुधार की कोशिश भी करेंगे। यह फिल्म हमें यह महत्वपूर्ण संदेश देती है कि हर माता-पिता को अपने बच्चों का आधार कार्ड बनवाना चाहिए, और अभिभावकों को इस बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि शासन को इस फिल्म को टैक्स फ्री कर देना चाहिए।

इस खास मौके पर फिल्म में बीरू का किरदार निभाने वाले कुंज शर्मा और अनाथालय के बच्चों की भूमिका निभाने वाले अभिनव बंसल, कृष्ण संचानी, कुमाल, प्रखर, ऋषभ, सानवी, दक्ष दीक्षित को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। ये बच्चे फिल्म में बीरू को उसके माता-पिता से मिलवाने की कोशिश करते हैं। इस अवसर पर फिल्म के निर्माता अंशुमन प्रताप सिंह, लेखक और निर्माता मनीष श्रीवास्तव, प्रोडक्शन हाउस की अध्यक्ष अर्चना सिंह, नीरज सिंह राघव, अजीत चाहर, दीपक शर्मा, हरिशंकर शर्मा सहित अन्य महत्वपूर्ण लोग भी मौजूद रहे।

अदाकारी में झलकी मासूमियत भरी कलाकारी

 अनाथालय के बच्चे बीरू को उसके माता-पिता से मिलवाने के लिए पूरी कोशिश करते हैं, क्योंकि वे यह जानना चाहते हैं कि माता-पिता का प्यार कैसा होता है। जबकि बीरू से मिलकर समझदार और बड़े लोग अपने स्वार्थ या परेशानियों को महसूस करते हैं, वहीं अनाथालय के मासूम बच्चे बिना किसी स्वार्थ के बीरू का साथ देते हैं और उसे उसकी खोई हुई परिवार की तलाश में मदद करते हैं।

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