Gauri, who became a Sadhvi, returned to the village with her family, said- I will remain in the Sadhvi garb until I become an adult, returned to Juna Akhara with the respect of the Guru
The 13-year-old girl who went to Prayagraj Kumbh to become a sanyasi will study in Gurukul and propagate Sanatan Dharma. The restrictions will end when she becomes an adult.
प्रयागराज कुंभ में संन्यासी बनने गई 13 साल की लड़की अब अपने परिवार के साथ गांव लौट आई है। साध्वी बनने के बावजूद अखाड़े में शामिल न किए जाने से परिवार काफी दुखी है। नौवीं कक्षा में पढ़ रही किशोरी ने इसे अपनी परीक्षा बताते हुए कहा कि यह चुनौती उसके संकल्प को कमजोर नहीं करेगी। उसने स्पष्ट किया कि वह साध्वी वेश में ही रहेगी, गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त करेगी और सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में जुटी रहेगी। बालिग होने के बाद उसे संयम पथ अपनाने से कोई नहीं रोक सकेगा। इस पर जूना अखाड़े ने भी अपनी सहमति जताई है।
बालिग होने पर साध्वी नहीं बनाया तो दे दूंगी जान
साध्वी बनी 13 वर्षीय किशोरी ने कहा है कि यदि बालिग होने के बाद भी उसे साध्वी के रूप में स्वीकार नहीं किया गया, तो वह गंगा में कूदकर अपनी जान दे देगी। परिजनों ने भी गुरु को सम्मान न मिलने पर आत्महत्या की चेतावनी दी है। परिवार 25 दिसंबर को अपनी दो बेटियों को लेकर प्रयागराज महाकुंभ गया था, जहां उन्होंने अपनी 13 वर्षीय बेटी को जूना अखाड़े में समर्पित कर दिया था।
जूना अखाड़े ने संत कौशल गिरि को किया बाहर
जूना अखाड़े के संत कौशल गिरि ने किशोरी को शिविर में प्रवेश दिलाते हुए नया नाम दिया था। हालांकि, उम्र को लेकर हुए विवाद के बाद अखाड़ा प्रबंधन ने संत कौशल गिरि को निष्कासित कर दिया और किशोरी को सम्मानपूर्वक उसके घर भेज दिया। 22 दिन बाद, गुरुवार रात को वह किशोरी अपने परिवार के साथ घर लौट आई।
संत कौशल गिरि की सम्मान के साथ अखाड़े में हो वापसी
किशोरी के पिता ने कहा कि वे चाहते हैं कि संत कौशल गिरि को सम्मान के साथ अखाड़े में वापस लिया जाए। उनका मानना है कि गुरु के सम्मान में कोई समझौता स्वीकार नहीं किया जाएगा। अगर गुरु को सम्मान नहीं मिला, तो परिवार पूरी तरह से हताश होकर आत्महत्या का कदम उठा सकता है।
दूसरे अखाड़ों में रह रहीं हैं कई बच्चियां
किशोरी ने अपने फैसले पर दृढ़ रहते हुए कहा कि बचपन से ही साध्वी बनने की इच्छा उनके मन में थी। उन्होंने भगवा पहन लिया है और अब यह वचन उन्हें छोड़ने वाला नहीं है। वह अब बालिग होने तक इंतजार कर रही हैं। उन्हें नाबालिग होने के कारण जूना अखाड़े से वापस भेज दिया गया, जबकि प्रयागराज के कई अखाड़ों में तीन, सात और नौ साल की बच्चियां भी रह रही हैं।
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