The number of heart patients increases by 40-50 percent in winter, the doctor of SN Medical College, Agra advises - avoid leaving the bed early in the morning
SN Medical College has seen a 40-50 percent increase in cardiac patient cases. Heart diseases increase due to cold in winter, which increases the cases of cardiac arrest.
क्या है कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक
कार्डियक अरेस्ट में हृदय अचानक धड़कना बंद कर देता है, जिससे शरीर के अहम अंगों तक खून का संचार नहीं हो पाता। हार्ट अटैक में हृदय की नसों में अवरोध के कारण रक्त प्रवाह रुक जाता है, जिससे सीने में तीव्र दर्द होता है।
क्यों होता है कार्डियक अरेस्ट
जब हृदय रक्त पंप करना बंद कर देता है या धड़कनें असामान्य रूप से तेज हो जाती हैं, तो यह वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन और अर्यथमिया के कारण हो सकता है, जो कार्डियक अरेस्ट का प्रमुख कारण है। वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन में तेज धड़कन और हृदय के कांपने की स्थिति उत्पन्न होती है। कभी-कभी दिल का आकार बढ़ना भी इसके कारण हो सकता है, लेकिन कार्डियक अरेस्ट के लिए हृदय रोग होना जरूरी नहीं है। यह बिना किसी पूर्व समस्या के भी हो सकता है।
हार्ट अटैक होने के कारण
सर्दियों में शरीर की नसें सिकुड़ने लगती हैं, जिससे कोलेस्ट्रॉल थक्के (प्लाक) नसों में रुकावट डालते हैं। इन थक्कों के कारण धमनियों की बाहरी परत कठोर हो जाती है, जबकि अंदर की परत नरम रहती है। यह कठोर परत टूटने से रक्त के थक्के बनने लगते हैं, जिससे हृदय की मांसपेशियों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है।
बढ़ जाते हैं केस
एसएन मेडिकल कॉलेज के ह्रदय रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. बसंत गुप्ता के अनुसार, सर्दियों में ह्रदय रोगी मामलों में 40 प्रतिशत तक वृद्धि हो जाती है। ठंड के कारण नसें सिकुड़ जाती हैं, जिससे समस्याएं बढ़ जाती हैं। पुराने और नए ह्रदय रोगियों की संख्या दोनों बढ़ जाती है। गर्मियों में ओपीडी में रोजाना 35-40 मरीज आते हैं, जबकि सर्दियों में यह संख्या बढ़कर 60 से ज्यादा हो जाती है, जिनमें बुजुर्गों के साथ-साथ युवा भी शामिल होते हैं।
क्या है लक्षण
हार्ट अटैक के लक्षणों में पैरों में सूजन, बैठते समय घबराहट, पसीना आना, सीने में तेज दर्द होना जो कंधे तक पहुंच जाए, चलने में कठिनाई और सांस फूलना शामिल हो सकते हैं। इन लक्षणों का अनुभव होने पर हार्ट अटैक का खतरा हो सकता है।
इन बातों का रखें ध्यान
- बीपी को कंट्रोल में रखें।
- मौसम बदलने से पहले ही अपने फिजिशियन से संपर्क कर लें।
- सुबह 7 बजे से पहले बिस्तर न छोड़ें।
- सर्दी से बचकर रहें। सुबह और रात में घर से न निकलें।
- शुगर को कंट्रोल में रखें।
- नियमित चेकअप कराते रहें।
- ज्यादा तला भुना न खाएं।
- अगर पहले से ह्रदय संबंधी दिक्कत है तो पानी कम पिएं।
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